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विदिशा: चीन का पुतला दहन कर भारत तिब्बत सहयोग मंच ने की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग

विदिशा। भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ताओं ने पीतल मिल चौराहे पर चीन का पुतला दहन किया। 20 अक्टूबर को भारत चीन युद्ध की बरसी के तहत काला दिवस कार्यक्रम के तहत यह पुतला दहन किया गया। इस अवसर पर युवा विभाग प्रांत अध्यक्ष अर्पित मुदगल ने पुतले को आग के हवाले किया। मंच के युवा विभाग प्रांत अध्यक्ष अर्पित मुदगल ने संबोधित करते हुए कहा कि आज 20 अक्टूबर को भारत-चीन युद्ध की 57वीं बरसी है, जो भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाती है, चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ यह युद्ध विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन इसमें अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई। चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी।

चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किए। चीनी सेना ने छलपूर्वक युद्ध कर पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा लिया। इस युद्ध में विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हालांकि अस्थाई चीन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया।

मुदगल ने कहा कि इस युद्ध की हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने युद्ध के तत्काल बाद ले। जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के तत्कालीन कमानडेंट ब्रिगेडियर पी एस भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। दोनों सैन्य अधिकारियो द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को भारत सरकार अभी भी इसे गुप्त रिपोर्ट मानती है। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन आज तक भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया, जो कि अत्यंत विचारणीय विषय है हम वर्तमान सरकार से इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते हैं।

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मंच के प्रान्त उपाध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा कि भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में हम चीन के सामान का बहिष्कार करने पुरजोर आवाज उठाने के भारतीय जनता से अपील करते हैं। मंच जिलाध्यक्ष तोरण सिंह दांगी ने कहा कि सन 1962 में भारत पर हुए आक्रमण से हमारे देश के अनेकों सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे और भारत भूमि पर चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था। जिसके विरोध स्वरूप भारत तिब्बत सहयोग मंच इस दिवस को चीन के खिलाफ काले दिवस के रूप में मना रहा है और विरोध स्वरूप चीन का पुतला दहन किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रांत मंत्री प्रदीप पवार, युवा विभाग के प्रांत सह प्रचार प्रमुख देव सनोटिया, युवा विभाग जिला अध्यक्ष बिट्टू शर्मा समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
रिपोर्ट: ओम प्रकाश जोशी

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