बालाघाट। कटंगी के मुंदीवाड़ा रोड़ पर छोटा तालाब इस साल गर्मी में पूरी तरह से सूख चुका है, इस तालाब में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं जिन्हें देख ऐसा लगता है कि मानो तालाब बारिश की एक-एक बूंद का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रहा है। लेकिन मौसम के जानकारों का कहना है कि अभी बारिश के लिए एक सप्ताह और इंतजार करना पड़ सकता है।
दरअसल, शासन-प्रशासन की उपेक्षा से यह तालाब पूरी तरह से बदहाल हो गया है। बीते कई सालों से तालाब का गहरीकरण नहीं किया गया है। जिसके चलते इसकी जल संग्रहण क्षमता समाप्त हो चुकी है, और इसमें बारिश का पानी भी पर्याप्त मात्रा में संग्रहित नहीं हो पाता है।
ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या गरीब तबके के उन मछुआरों को होती है जिनके परिवार का गुजर-बसर मत्स्य पालन से होता है। इस साल जब तालाब में पानी की एक बूंद नहीं बची है तो मछुआरों ने तालाब में पोखर बना लिया है।
इस पोखर को 200 मीटर दूर स्थित बोरवेल से पानी लाकर भरा जा रहा है, ताकि मछलियां जिंदा रह सकें। चौंकानें वाली बात तो यह है कि यह गरीब मछुआरें पानी के लिए 1200 रुपये प्रतिमाह का किराया भी दे रहे है।
शहर के छोटा तालाब पर करीब 2 दर्जन से भी ज्यादा मछुआरे रहते हैं। यह सभी तालाब में मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन करते हैं लेकिन कुछ सालों से गर्मी के मौसम में तालाब सूख जाने के कारण मछुआरों के सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई है।
मछुआरों की माने तो अगर समय रहते तालाब का गहरीकरण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में तालाब का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। वहीं शासन-प्रशासन की उपेक्षा की वजह से यह तालाब खत्म होने की कगार पर हैं।
लेकिन जिम्मेदार विकास की बेतुकी इबारत पढ़ाने पर ही आमादा हैं, वहीं सरकार हर कार्यक्रम में जल संरक्षण पर केवल अपनी उपलब्धियां गिना रही है, लेकिन हकीकत तो यह भी है कि कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है।
गौरतलब है कि विधायक केडी देशमुख के अनुरोध पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान शहर के तालाबों के सौन्दर्यीकरण के लिए 2 करोड़ रुपये की राशि देने की घोषणा की थी। लेकिन यह सिर्फ घोषणा ही रह गई है।
वह भी तब जब सरकार का कार्यकाल अंतिम चरण में हैं, और नगर परिषद् प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में उलझी हुई है। आपको बता दें कि यह राशि नगर परिषद् से कागजी कार्रवाई होने के बाद ही मिलेगी। जिसमें अभी और कितना समय लगेगा यह कहा नहीं जा सकता है।
आने वाले दिनों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी ऐसे में नगर परिषद् को तालाबों के सौन्दर्यीकरण के लिए राशि मिलना मुश्किल है। विरोधी पक्ष इसे मुख्यमंत्री की चुनावी घोषणा से जोड़कर देख रहे हैं।
साल भर इनमें पशुओं के लिए पानी उपलब्ध होता था लेकिन समय के साथ तेजी से हो रहे अतिक्रमण और प्रशासनिक नाकामी से इन तालाबों का अस्तित्व खत्म होते जा रहा है।