इस बार देवशयनी एकादशी एक जुलाई को पड़ रही है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ होगा। मान्यता है कि इस तिथि से श्रीहरि चार मास तक योग निद्रा में लीन रहते हैं। इस बार चातुर्मास की अवधि 148 दिन की रहेगी। 25 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी को श्रीहरि योग निद्रा से जागेंगे। चातुर्मास में सभी मांगलिक कार्यक्रम वर्जित रहेंगे।
पंडित एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. नरेंद्र दीक्षित ने बताया कि हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। हर वर्ष 24 एकादशी होतीं हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को पद्मनाभा भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है।
पंडित एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. नरेंद्र दीक्षित ने बताया कि इस दिन से भगवान श्री हरि क्षीरसागर में शयन करते हैं। फिर चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर वह जागते हैं। उसी तिथि को देवोत्थानी एकादशी कहते हैं। इस अंतराल को चातुर्मास कहते हैं। पुराणों में वर्णन आता है कि भगवान विष्णु इस दिन से चार महीने तक पाताल लोक में राजा बलि के द्वार पर निवास करते हैं और देवोत्थानी एकादशी पर लौटते हैं। चातुर्मास में सभी प्रकार के शुभ काज और मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
आश्विन मास के कारण अधिकमास
पंडित एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. नरेंद्र दीक्षित का कहना है कि एक जुलाई से चातुर्मास शुरू होगा। इस बार चातुर्मास में अधिकमास होने से इसकी अवधि बढ़कर 148 दिनों की हो गई है। इस वर्ष आश्विन मास का अधिकमास है। अधिकमास के कारण आश्विन मास से लेकर आगे के महीनों में आने वाले तीज-त्योहार भी 20 से 25 दिनों तक आगे बढ़ जाएंगे।
रिपोर्ट: तंजीम राणा