पितरों के तर्पण का पर्व श्राद्ध आज से शुरू हो गया है। पितृपक्ष में अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से तर्पण करें। 15 दिन के इस पर्व में नियम संयम का पालन करें। साथ ही अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। ज्योतिषाचार्य व पंडित नरेंद्र दीक्षित के अनुसार श्राद्ध से जुड़ी विशेष जानकारी…
ये है पूजन विधि
श्राद्ध करते समय हमेशा ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए, जिसकी ढाल दक्षिण दिशा की ओर हो। इससे तर्पण के दौरान दिया गया जल दक्षिण की ओर जाता है। मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध करते समय आसन भी खास महत्व रखता है। तर्पण के समय हमेशा उसका इस्तेमाल करें व पित्रों लिए लकड़ी का आसन बनाना चाहिए। तिल का प्रयोग बिल्कुल नहीं होना चाहिए। कुश अवश्य पहनें। कुश की अंगूठी का कोई विकल्प नहीं है। यदि कुश की अंगूठी नहीं है तो तर्पण अधूरा ही माना जाता है। श्राद्ध के समय कभी अकेले बैठकर आहुति ना दें। इससे पित्रों को आने में कष्ट होता है। जब भी श्राद्ध करें तो कम से कम 2 लोगों को अवश्य शामिल करें।
पितृपक्ष में श्राद्ध कब करें
पितृपक्ष में मृत व्यक्ति की जो तिथि आये उस तिथि पर मुख्य रूप से पार्वण श्राद्ध करने का विधान है। सोलह दिनों तक पितरों को तर्पण करें और विशेष तिथि को श्राद्ध करें (जिस दिन उनका स्वर्गवास हुआ हो)। यदि किसी को पितरों के स्वर्गवास का दिन ज्ञात न हो तो वे अमावस्या को श्राद्ध करें। इस श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहते हैं।
श्राद्ध न करने पर
सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने तक यदि श्राद्ध न किया जाए तो पितर गृहस्थ को दारुण शाप देकर पितृलोक लौट जाते हैं। पूर्वजों के अतृप्त होने के कारण होने वाले कष्ट जैसे विवाह न होना, पति-पत्नी में अनबन, गर्भधारण न होना, मंदबुद्धि या विकलांग संतान होना, पितृदोष के कारण सन्तान में समस्या आदि का सामना करना पड़ता है।
एक नजर इस पर भी
– 14 सितंबर 2019 प्रतिपदा श्राद्ध
– 15 सितंबर 2019 द्वितीय श्राद्ध
– 17 सितंबर 2019 तृतिया श्राद्ध
– 18 सितंबर 2019 चतुर्थी श्राद्ध
– 19 सितंबर 2019 पंचमी श्राद्ध
– 20 सितंबर 2019 षष्ठी श्राद्ध
– 21 सितंबर 2019 सप्तमी श्राद्ध
– 22 सितंबर 2019 अष्टमी श्राद्ध
– 23 सितंबर 2019 नवमी श्राद्ध
– 24 सितंबर 2019 दशमी श्राद्ध
– 25 सितंबर 2019 एकादशी +द्वादशी श्राद्ध
– 26 सितंबर 2019 त्रयोदशी श्राद्ध,
– 27 सितंबर 2019 चतुर्दशी श्राद्ध
– 28 सितंबर 2019 सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या