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योग ने पुराने कालाहांडी की तस्वीर बदली, यहां के एक हजार से अधिक योग शिक्षक देशभर में दे रहे प्रशिक्षण

नवापाड़ा के खरियार रोड क्षेत्र में एक आश्रम ने बदल दी यहां की तकदीर

ओडिशा का कालाहांडी की पहचान भुखमरी और गरीबी थी। कालाहांडी के एक हिस्से को अलग कर नुअापाड़ा जिला बना, जहां 34% आबादी आदिवासी है।

इसी जिले के खरियार रोड क्षेत्र के पास आमसेना गांव में 1968 में एक आश्रम बना। इससे इस इलाके की पहचान बदल गई। हरियाणा के रोहतक से आए स्वामी धर्मानंद सरस्वती ने योग के माध्यम से यहां के लोगों की मानसिकता बदली। उन्हें शिक्षा से जोड़ा। रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया। नतीजा है कि अामसेना समेत आसपास के 20 गांवों के एक हजार से अधिक युवा आश्रम से योग सीख कर देशभर में लोगों को योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। योग का ही जादू है कि इन गांवों में कोरोना का असर नहीं हुअा।

आमसेना के पूर्व सरपंच सदानंद साहू ने बताया कि पहले यहां के लोग अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते थे। योग के माध्यम से बदलाव आना शुरू हुआ। यहां के आश्रम में पढ़ी लड़कियों की शहरों में शादी होने लगी। लड़के बाहर नौकरी करने लगे। लोगों ने शराब छोड़ दी। मांसाहार लगभग बंद है। अामसेना के साथ कल्याणपुर, खेलकोबेड़ा, चेनाबेड़ा, जेंजरा, गोतमा, डूमरपानी, चिल्दा, कोदोमिली गांव की पहचान बदल गई है।

आश्रम में 500 से अधिक बच्चे योग सीख रहे हैं। गांवों में योग सिखाने के लिए इनकी अलग-अलग टीम बनाई गई है। ये हर सप्ताह गांवों में जाते हैं और योग की ट्रेनिंग देते हैं। आश्रम में मिले डॉ. कुंजदेव मनीषी ने बताया कि योग ने लोगों को जोड़ने का काम किया है।

82 वर्षीय स्वामी धर्मानंद सरस्वती अभी भी योग करते हैं
आश्रम की स्थापना करने वाले 82 वर्षीय स्वामी धर्मानंद सरस्वती अभी भी योग करते हैं। उनका कहना है कि योग ने ही उन्हें नया जीवन दिया है। वह आश्रम के बच्चे योग सिखाने के साथ ही आसपास के गांवों में जाकर लोगों को योग सिखाते हैं। साल में दो बार कैंप लगता है। आश्रम के वैद्य स्वामी वृतानंद ने बताया कि यहां लोगों को वात रोग ज्यादा होता है। इससे हर साल करीब 20 हजार लोग लकवाग्रस्त होते हैं। आश्रम में उनका सफल इलाज किया जाता है।

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